!! खाटू श्याम जी की चालीसा !!

!! दोहा !!
श्री गुरु चरणन ध्यान धर, सुमीर सच्चिदानंद !
श्याम चालीसा बणत है, रच चौपाई छंद !!
!! चालीसा !!
श्याम.श्याम भजि बारंबारा !
सहज ही हो भवसागर पारा !!
इन सम देव न दूजा कोई !
दिन दयालु न दाता होई !!
भीम सुपुत्र अहिलावाती जाया !
कही भीम का पौत्र कहलाया !!
यह सब कथा कही कल्पांतर !
तनिक न मानो इसमें अंतर !!
बर्बरीक विष्णु अवतारा !
भक्तन हेतु मनुज तन धारा !!
बासुदेव देवकी प्यारे !
जसुमति मैया नंद दुलारे !!
मधुसूदन गोपाल मुरारी !
वृजकिशोर गोवर्धन धारी !!
सियाराम श्री हरि गोबिंदा !
दिनपाल श्री बाल मुकुंदा !!
दामोदर रण छोड़ बिहारी !
नाथ द्वारिकाधीश खरारी !!
राधाबल्लभ रुक्मणि कंता !
गोपी बल्लभ कंस हनंता !!
मनमोहन चित चोर कहाए !
माखन चोरि.चारि कर खाए !!
मुरलीधर यदुपति घनश्यामा !
कृष्ण पतित पावन अभिरामा !!
मायापति लक्ष्मीपति ईशा !
पुरुषोत्तम केशव जगदीशा !!
विश्वपति जय भुवन पसारा !
दीनबंधु भक्तन रखवारा !!
प्रभु का भेद न कोई पाया।
शेष महेश थके मुनिराया॥
नारद शारद ऋषि योगिंदरर !
श्याम.श्याम सब रटत निरंतर !!
कवि कोदी करी कनन गिनंता !
नाम अपार अथाह अनंता !!
हर सृष्टी हर सुग में भाई !
ये अवतार भक्त सुखदाई !!
ह्रदय माहि करि देखु विचारा !
श्याम भजे तो हो निस्तारा !!
कौर पढ़ावत गणिका तारी !
भीलनी की भक्ति बलिहारी !!
सती अहिल्या गौतम नारी !
भई श्रापवश शिला दुलारी !!
श्याम चरण रज चित लाई !
पहुंची पति लोक में जाही !!
अजामिल अरु सदन कसाई !
नाम प्रताप परम गति पाई !!
जाके श्याम नाम अधारा !
सुख लहहि दुःख दूर हो सारा !!
श्याम सलोवन है अति सुंदर !
मोर मुकुट सिर तन पीतांबर !!
गले बैजंती माल सुहाई !
छवि अनूप भक्तन मान भाई !!
श्याम.श्याम सुमिरहु दिन.राती !
श्याम दुपहरि कर परभाती !!
श्याम सारथी जिस रथ के !
रोड़े दूर होए उस पथ के !!
श्याम भक्त न कही पर हारा !
भीर परि तब श्याम पुकारा !!
रसना श्याम नाम रस पी ले !
जी ले श्याम नाम के ही ले !!
संसारी सुख भोग मिलेगा !
अंत श्याम सुख योग मिलेगा !!
श्याम प्रभु हैं तन के काले !
मन के गोरे भोले.भाले !!
श्याम संत भक्तन हितकारी !
रोग.दोष अध नाशे भारी !!
प्रेम सहित जब नाम पुकारा !
भक्त लगत श्याम को प्यारा !!
खाटू में हैं मथुरावासी !
पारब्रह्म पूर्ण अविनाशी !!
सुधा तान भरि मुरली बजाई !
चहु दिशि जहां सुनी पाई !!
वृद्ध.बाल जेते नारि नर !
मुग्ध भये सुनि बंशी स्वर !!
हड़बड़ कर सब पहुंचे जाई !
खाटू में जहां श्याम कन्हाई !!
जिसने श्याम स्वरूप निहारा !
भव भय से पाया छुटकारा !!
!! दोहा !!
श्याम सलोने संवारे, बर्बरीक तनुधार !
इच्छा पूर्ण भक्त की, करो न लाओ बार !!