गर्भ में राजा परिक्षित कि भगवान श्री कृष्ण ने की रक्षा

गर्भ में राजा परिक्षित कि भगवान श्री कृष्ण ने की रक्षा
गोरखपुर- सहजनवा क्षेत्र के कालेसर गांव में संचालित हो रहे श्रीमद् भागवत कथा में पंडित नितिश तिवारी जी महराज द्वारा श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कराया गया । जिसमें उन्होंने कहा कि 18 दिनों तक चले महाभारत के युद्ध में जब कौरव पराजित हो गए और पांडव विजई हुए तो द्रोणाचार्य पुत्र अश्वत्थामा ने कसम खाया था कि अपने पिता की मौत का बदला वह पांडवों के वंश का नाश करके लेगा । इसलिए उसने पांडवों के ऊपर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया । विरोध में अर्जुन ने भी ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया, पर ऋषि मुनियों ने सृष्टि को विनाश से बचाने के लिए दोनों पक्षों को ब्रह्मास्त्र वापस लेने का आदेश दिया । अर्जुन ने तो वापस ले लिया पर द्रोणाचार्य पुत्र अश्वत्थामा को वापस लेने कि कला आती ही नहीं थी, इसलिए उसने ब्रह्मास्त्र को उत्तरा के गर्भ की तरफ मोड़ दिया । पर भगवान श्री कृष्ण ने गर्भ में पल रहे बच्चे को बचा लिया । वहीं बालक आगे चलकर अभिमन्यु और उत्तरा का पुत्र परीक्षित होता है । इससे पांडवों का वंश नष्ट होने से बच जाता है । बाद में इसी राजा परीक्षित की संतान जन्मेजय होते हैं । 11 अप्रैल दिन शुक्रवार से प्रारंभ इस श्रीमद् भागवत कथा का 19 अप्रैल दिन शनिवार को भंडारे के साथ समापन होगा । प्रतिदिन श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कराया जाता है । इस अवसर पर मुख्य यजमान सुमित्रा सिंह और ओमप्रकाश सिंह सहित पूर्व प्रमुख पिपरौली सुधीर सिंह, शैलेश सिंह (टप्पू), सतपाल सिंह, समरपाल सिंह, सुशील सिंह, प्रदीप सिंह, राजन सिंह, अनिल सिंह, राकेश सिंह, धर्मवीर सिंह, ऋषभ सिंह, आयुष सिंह सहित सैकड़ों कि संख्या में भक्त उपस्थित रहे ।