डीएम के समक्ष उपनिबंधक कार्यालय भवन निर्माण की वैधता पर हुई बहस

डीएम के समक्ष उपनिबंधक कार्यालय भवन निर्माण की वैधता पर हुई बहस
सन्तकबीर नगर- धनघटा। विवादों में घिरे उपनिबंधक कार्यालय धनघटा के भवन निर्माण की वैधता को लेकर मंगलवार को जिलाधिकारी की मौजूदगी में हुई बहस में अधिवक्ताओं ने अपना पक्ष रखा। उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेशानुसार उपनिबंधक कार्यालय भवन के विवादित प्रकरण को हल करने के लिए जिलाधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी है।
डीएम के समक्ष जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता गणों ने चार विन्दुओं पर बहस की। अधिवक्ताओं ने ला प्वाइंट पर बहश कर विवादित दान कि भूमि पर उपनिबंधन कार्यालय भवन निर्माण रोकने का कानून व न्यायिक निर्णय पेश करने की जिलाधिकारी से मांग किया। चार विंदु पर मुख्य बहश हुआ। प्रथम यह कि न्यायालय सिविल जज सीनियर डिविजन संतकबीरनगर द्वारा पारित स्थगन आदेश का उल्लंघन हो रहा है। दूसरा यह कि क्या तथाकथित अवैधानिक रूप से अर्जित दान कि भूमि 28×194’5 फीट पर निर्माण हो रहा है। तीसरा बिंदु यह कि क्या शपथ-पत्र के माध्यम से सहखातेदार के भूमि मे बढ़कर निर्माण किया जा सकता है और चौथा विंदु यह कि क्या सक्षम न्यायालय से विवादित भूखण्ड का विधिक बटवारा हुआ है। अधिवक्ताओं ने कहा कि चारो ही विंदु विधिक रूप से निर्माण रोक के लिए पर्याप्त है। अधिवक्ताओं ने कहा कि अन्याय बर्दाश्त नही होगा। कानून का उल्लंघन नही होने दिया जायेगा। बहस के बाद अधिवक्ता गणों ने कहा कि अब डीएम पर निर्भर है कि वह धर्म और सत्य में किसका साथ निभाये।
इस अवसर पर ईश्वर पाठक, शशिकुमार ओझा, रविंद्र नाथ पांडेय, महीपबहादुर पाल, सुबाष चंद्र श्रीवास्तव, गोरख बावू, सुरेंद्र प्रताप सिंह, लाल शरण सिंह, राधेश्याम मौर्य, परभुनाथ यादव, सर्वेश कुमार श्रीवास्तव, अरुण कुमार श्रीवास्तव, रामानुज राय, रविशंकर पांडेय, श्रवण कुमार चौहान, निरंजन सिंह एडवोकेट आदि अधिवक्ता बहस में शामिल हुए।