अप्राकृतिक दुष्कर्म के आरोपी को पांच वर्ष का सश्रम कारावास , साढ़े पांच हजार का अर्थदण्ड

अप्राकृतिक दुष्कर्म के आरोपी को पांच वर्ष का सश्रम कारावास , साढ़े पांच हजार का अर्थदण्ड
-मारपीट व दलित उत्पीड़न का कायम हुआ था अभियोग , दलित उत्पीड़न के आरोप में हुआ दोषमुक्त
-,विवेचना के दौरान बढ़ाई गई थी अप्राकृतिक दुष्कर्म की धारा
संत कबीर नगर । नौ वर्षीय दलित नाबालिग लड़के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म करने के आरोपी को एडीजे एवं विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट कृष्ण कुमार पंचम की कोर्ट ने दोषसिद्ध करार देते हुए पांच वर्ष के सश्रम कारावास का सजा सुनाया । कोर्ट ने आरोपी लाल बहादुर पर सजा के अतिरिक्त पांच हजार पांच सौ रुपए का अर्थदण्ड भी लगाया है । अर्थदण्ड का भुगतान न करने पर आरोपी को तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी । कोर्ट ने अर्थदण्ड की सम्पूर्ण पांच हजार पांच सौ रुपए की धनराशि पीड़ित को देने का भी फैसला सुनाया है । इसके साथ ही कोर्ट ने नालसा प्रतिकर स्कीम के अंतर्गत पीड़ित को 20 हजार रुपए का प्रतिकर देने का भी निर्णय दिया । पहले मारपीट व दलित उत्पीड़न का अभियोग पंजीकृत हुआ था । विवेचना के दौरान अप्राकृतिक दुष्कर्म की धारा की बढ़ोत्तरी हुई थी ।
विशेष लोक अभियोजक पाक्सो एक्ट अभिमन्युपाल , सत्येन्द्र शुक्ल , अनिल कुमार सिंह व सत्य प्रकाश गुप्ता ने बताया कि प्रकरण बेलहर कला थानाक्षेत्र के एक गांव का है । प्रकरण में पीड़ित के पिता ने अभियोग पंजीकृत कराया था । उसका आरोप था कि दिनांक 13 अपैल 2020 को समय लगभग तीन बजे उसका पुत्र गांव के बगल गेंहू की बाल बीनने गया था । उसी समय दूसरे गांव के लाल बहादुर पुत्र राम मिलन ग्राम अकलोहना टोला कटया थाना बेलहर कला उसके लड़के से मिला । बाल बीनने की बात को लेकर जाति सूचक गाली देते हुए लात मूका से मारा पीटा । पुत्र को काफी चोट आई । पुलिस ने मारपीट , जान से मारने की धमकी व दलित उत्पीड़न का अभियोग पंजीकृत करके विवेचना के उपरांत अप्राकृतिक दुष्कर्म का आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया । विशेष लोक अभियोजक अभिमन्युपाल ने बताया कि अभियोजन की तरफ से आठ साक्षी न्यायालय में प्रस्तुत किए गए । एडीजे व विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट कृष्ण कुमार पंचम की कोर्ट ने सुनवाई के पश्चात आरोपी लाल बहादुर को दोषसिद्ध करार देते हुए पांच वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई । कोर्ट ने दलित उत्पीड़न के आरोप में दोषमुक्त करने का फैसला सुनाया ।