!! श्री रामचंद्र जी की आरती !!

!! आरती !!
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम् !
नवकंज लोचन कंज मुखकरए कंज पद कन्जारुणम् !!
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम् !
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम् !!
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम् !
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम् !!
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं !
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर.धूषणं !!
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम् !
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम् !!
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों !
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो !!
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली !
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली !!
!! दोहा !!
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि !
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे !!