बदहाली का शिकार गांधी आश्रम मगहर

बदहाली का शिकार गांधी आश्रम मगहर
– हुनर मंद हाथ काम के मोहताज
– भवन के किराये से चल रही कर्मचारियो की जीविका
मगहर। खादी वस्त्र नहीं विचार है। यह शब्द हमेशा सुनाई पड़ता है। मगहर के सद्गुरु कबीर की निर्वाण स्थली के ठीक सामने 27 एकड़ में फैला क्षेत्रीय श्रीगांधी आश्रम आज बदहाल स्थित में है। यह कभी गुलजार हुआ करता था और हुनरमंद हाथो को काम मिलता था। जो उदासीनता की भेंट चढ़ गया और सभी विभाग बंद है व परिसर अब वीरान पड़ा हुआ है। कभी यहां एक हजार कर्मचारी काम करते थे। आज सिर्फ चार काफी है। इनका वेतन किराये से मिलने वाले धन से मिलता है। आश्रम को सुविधा व संसाधन मिले तो रोजगार के अवसर खुले।
वर्ष 1955 में क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम की स्थापना की गई। गांधी आश्रम के मंत्री रविन्द्र लाल श्रीवास्तव ने बताया कि वर्ष 1990 तक इस संस्था से जुड़ कर एक हजार से अधिक कर्मचारी कार्य करते थे। यह सेंटर यूपीमंत्री
का तीसरा क्षेत्रीय संचालन केंद्र हुआ करता था। काफी समय तक बहराइच, बस्ती, लखनऊ, गोंडा, गोरखपुर, देवरिया जिले के गांधी आश्रमों का संचालन यहां से हुआ करता था। वर्तमान समय में ठण्ड के सीजन को देखते हुए खादी पोली, रजाई, कुर्ता, पायजा रेडिमेट पोली आदि कच्चे माल मंगाये गये है। उन्होंने कहा सरकार की उपेक्षा के कारण आश्रम को कोई सहयोग नही मिला। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी से मुलाकात कर समस्या से अवगत कराया गया है। इनमें रिटायटर कर्मचारियों की ग्रेजुटी व आश्रम पर बकाया है उसकी अदायगी के क्या रास्ते है। इसके लिए उन्होने एक कमेटी गठित की है।
कपड़े के साथ बनते थे धरेलू सामान
मगहर। गांधी आश्रम के कर्मचारी शिवशंकर यादव ने बताया कि यहां से सूत कातने वाली महिलाएं रूई ले जाकर घर से सूत कातकर ले आती थीं। जिन्हें आस-पास के बुनकर सूत ले जाकर कपड़ा बुनकर दे जाया करते थे। जिसकी यहां रंगाई व छपाई हुआ करती थी। गांधी आश्रम के घरेलू उत्पाद की बड़ी मांग थी।आश्रम में कबीर ब्रांड का कपड़ा धोने का साबुन, अर्चना ब्रांड की अगरबत्ती, नीम सोप के नाम से नहाने वाला साबुन का उत्पाद होता था।। कोल्हू के द्वारा बैलों के माध्यम से शुद्ध सरसों का तेल पेरा जाता था, जो अब पूरी तरह बंद हो चुके हैं।
भवन के किराये से चल रही कर्मचारियो की जीविका
मगहर ।
वर्तमान में गांधी आश्रम में सभी कार्य बंद है। इनके भवन को किराये पर दिया गया है। जिसमें आज बेकरी, फर्नीचर बन रहे है। आरा मशीन किराये पर है। इसी भवन में डाकखाना भी चल रहे है।