आर्य समाज मंदिर में आयोजित नवसस्येष्टि यज्ञ संपन्न

आर्य समाज मंदिर में आयोजित नवसस्येष्टि यज्ञ संपन्न
संतकबीर नगर। मगहर-आर्य समाज मगहर के यज्ञ शाला में विशेष औषधि सामग्री के साथ नए अन्न गेहूं जौ चना की बाली के साथ विशेष मंत्रों से आहुति प्रदान की गई। यज्ञ पुरोहित आचार्य देवव्रत आर्य ने यज्ञ उपरांत कहा कि होली उत्सव पर्व का प्राचीनतम नाम बासन्तीय नवसस्येष्टि यज्ञ है। अर्थात नए अन्न से किया हुआ यज्ञ। परंतु होली होलक का अपभ्रंश है। अग्नि में भुने हुए अधपके अन्न को होलक कहते हैं । जिसे सामान्य भाषा में “होरहा” कहा जाता है। इसके प्रयोग करने से शरीर हष्ट पुष्ट और मजबूत बनता है।
महाभारत काल से पूर्व फाल्गुन पूर्णिमा के दिन बड़े यज्ञ सामूहिक रूप से आयोजित किए जाते थे। उसी का नाम आज सम्मत के रूप में जलाया जाता है। आर्य समाज के मंत्री ओमप्रकाश आर्य ने कहा कि ऋतुओं के मिलने पर रोग उत्पन्न होते हैं उसके निवारण के लिए यह यज्ञ किए जाते थे। यह होली शिशिर और बसंत ऋतु का योग है। रोग निवारण के लिए यज्ञ ही सर्वोत्तम साधन है। यज्ञ में विभिन्न औषधीय के प्रयोग करने से वातावरण आरोग्य एवं सुख में बनता है। कार्यक्रम के अंत में मनोज कुमार आर्य संत जी ने कहा कि होली सनातन संस्कृति के भाईचारे का पवित्र पर्व है । इस दिन जड़ देवों की पूजा यज्ञ से तथा चेतन देवों की पूजा आज्ञा पालन व कर्मों से तृप्त करके करनी चाहिए। सामाजिक बुराइयों से बचते हुए पर्व को प्रसन्नता पूर्वक मनाना चाहिए। अंत में शांति पाठ एवं प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से धर्मेंद्र आर्य, गुलाब चंद्र आर्य, अशोक गुप्ता, रमन आर्य, अशोक आर्य, उत्कर्ष, सुरेंद्र आर्य, आदर्श वर्मा, सूरज कुमार सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।