पुलिस हिरासत में वारंटी की संदिग्ध स्थिति में मौत !

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पुलिस हिरासत में वारंटी की संदिग्ध स्थिति में मौत !
महुली थाना क्षेत्र के ग्राम नगुआ का रहने वाला था दलित वारंटी !
शनिचरा बाबू चौकी पुलिस पर बीमार वारंटी की हुई मौत !
एसपी ने दौरा कर मामले का लिया संज्ञान !
शव के पीएम न कराने की जिद पर अड़े परिजन, समझाने बुझाने में छूटे पुलिस के पसीने !
धनघटा, संतकबीर नगर –
महुली थाना क्षेत्र के ग्राम नगुआ निवासी एक दलित वारंटी की शनिचरा बाबू पुलिस चौकी में हिरासत के दौरान मौत हो गई। परिजन चौकी पुलिस पर बीमार वारंटी को जबरिया उठा ले जाने का आरोप लगा रहे हैं। घटना को लेकर पुलिस की कार्यशैली से ग्रामीण अक्रोषित नजर आ रहे हैं। ग्रामीण मृतक के बेटों के मौके पर नही पहुंचने तक शव को पीएम नही होने देने की जिद पर अड़े हुए हैं।
ग्रामीणों के अनुसार सोमवार की शाम शनिचरा बाबू पुलिस चौकी के सिपाही गांव निवासी मतई पुत्र मोतीलाल और राम किशुन पुत्र बुझई के घर पहुंचे। पुलिस ने दोनों लोगों को न्यायालय के वारंट का हवाला देकर मंगलवार की सुबह पुलिस चौकी शनिचरा बाबू पहुंचने का निर्देश दिया। वारंटी मतई का आरोप हैं कि राम किशुन हार्ट की बीमारी के चलते अस्वस्थ थे। वह अपने घर के भीतर खाना खा रहा था कि अचानक लगभग 8 बजे सुबह चौकी प्रभारी दो सिपाहियों के साथ उसके घर पहुंचे और पत्नी को धक्का देकर घर में घुस गए। उसे बिना खाना खाए ही जबरिया बाइक पर बैठा कर राम किशुन के घर पहुंचे। जब बीमार राम किशुन को साथ ले जाने का प्रयास करने लगे तो परिजनों ने उनके बीमारी का हवाला देकर दवा खिलाने के लिए समय मांगा। आरोप है कि पुलिस ने उन्हें दवा भी नही खाने दिया और जबरिया बाइक पर बैठा कर पुलिस चौकी शनिचरा लेकर चले गए। साथी वारंटी मतई का कहना है कि चौकी पर पहुंचते ही राम किशुन की तबियत बिगड़ गई। हालत गंभीर देख चौकी के सिपाही उन्हें चौराहे के ही एक प्राइवेट चिकित्सक की क्लिनिक पर ले गए। जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि चिकित्सक द्वारा मृत घोषित करते ही पुलिस शव को वहीं छोड़ कर निकल गई। सूचना पर पहुंचे ग्रामीणों ने शव को मृतक राम किशुन के घर पहुंचाया। सूचना पाकर पहुंचे पुलिस क्षेत्राधिकारी प्रियम शेखर पांडेय और थानाध्यक्ष रजनीश राय ने पोस्टमार्टम के लिए परिजनों को समझना शुरू कर दिया। घर में मौजूद मृतक की पत्नी और पुत्री ने दिल्ली में रह रहे चारों बेटों के आने के बाद ही पोस्टमार्टम कराने की जिद पर अड़ी रही। मौके पर पहुंचे अपर पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार सिंह ने भी समझाने का प्रयास किया। समाचार लिखे जाने तक परिजन पोस्टमार्टम के लिए शव नही दिए जाने की जिद पर अड़े हुए थे।
14 साल पहले हुई मारपीट के केस में था वारंट-
ग्रामीणों के अनुसार वर्ष 2011 में दो पक्षों में मार पीट हो गई थी। जिसमे बाद में सुलह भी हो जाने की बात बताई जा रही है। उसी मामले में एक पक्ष के 5 लोगों का न्यायालय से वारंट जारी था। तीन वारंटी गांव से बाहर थे जबकि दोनो वारंटियों को चौकी पुलिस अपनी हिरासत में लेकर पुलिस चौकी शनिचरा बाबू पहुंची थी।
पुलिस छावनी में तब्दील हुआ नगुआ गांव –
घटना की सूचना मिलते ही आसपास के गांवों के लोगों की भीड़ मृतक के घर पर इकट्ठा होने लगे। लोगों में पुलिस की असंवेदनशीलता के खिलाफ आक्रोश नजर आने का लगा। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए महुली और धनघटा थाने की पुलिस को मौके पर तैनात कर दिया गया। नगुआ गांव पूरी तरह से छावनी में तब्दील हो गया।