निजीकरण के विरोध में विद्युत विभाग के कर्मचारियों ने दिया धरना ।

निजीकरण के विरोध में विद्युत विभाग के कर्मचारियों ने दिया धरना ।
👉 विद्युत कर्मियों द्वारा प्रांत भर में 29 मई से अनिश्चितकाल के लिए कार्य का करेंगे बहिष्कार।
ब्यूरो रिपोर्ट- कैलाश पति मौर्य
संत कबीर नगर- आज दिनांक 21 मई 2025 को विद्युत कर्मियों द्वारा निजीकरण के विरोध में प्रांत भर में विरोध सभा में 29 मई से अनिश्चितकालीन कार्य का बहिष्कार कर पावर कॉरपोरेशन पर बढ़ा-चढ़ा कर घाटा दिखाने और आंकड़ों का फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया गया।
विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में आज सन्तकबीर नगर बिजली विभाग के मुख्यालय पर बिजली कर्मचारियों ने अपरान्ह 02:00 बजे से सायं 05:00 बजे तक व्यापक विरोध प्रदर्शन किया ।
संघर्ष समिति के पदाधिकारी इं0 मुकेश गुप्ता ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन पर यह आरोप लगाया है कि वह आंकड़ों का फर्जीवाड़ा कर बढ़ा चढ़ा कर घाटा दिखा रहे हैं और आम उपभोक्ताओं पर इसका बोझ डालना चाहते हैं, जबकि इसके पीछे मुख्य मकसद निजी घरानों की मदद करना है ।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि शान्तिपूर्ण कार्य बहिष्कार आन्दोलन के कारण किसी भी बिजली कर्मी का उत्पीड़न किया या तो इसके गम्भीर परिणाम होंगे और सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मी उसी समय हड़ताल पर जाने हेतु बाध्य होंगे, जिसकी सारी जिम्मेदारी ऊर्जी निगमों के शीर्ष प्रबन्धन और चेयरमैन की होगी ।
संघर्ष समिति के पदाधिकारी इं0 राजेश कुमार ने कहा आज 14 साल बाद स्थिति यह है कि केस्को की ए टी एंड ।सी हानियां 09.6 % हैं जबकि आगरा में टोरेंट पॉवर कंपनी की ए टी एंड सी हानियां 09.82% हैं। पावर कॉरपोरेशन को जहां आगरा की निजी कंपनी टोरेंट पावर से प्रति यूनिट बिजली का 04.36 रुपए मिल रहा है वहीं सरकारी क्षेत्र की केस्को से प्रति यूनिट 07.96 रुपया मिल रहा है जो आगरा में निजी कम्पनी से मिलने वाले रु 04.36 प्रति यूनिट की तुलना में रु 03.60 प्रति यूनिट अधिक है।
यह भी उल्लेखनीय है कि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम से पॉवर कॉरपोरेशन को रु 04.47 प्रति यूनिट राजस्व मिलता है जो टोरेंट से मिलने वाले राजस्व से अधिक है। ध्यान देने की बात है कि आगरा एक औद्योगिक व वाणिज्यिक शहर है जबकि दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत बुंदेलखंड के बीहड़ और अनेक गांव है। उल्लेखनीय है कि आगरा एशिया का सबसे बड़ा चमड़ा उद्योग है जबकि कानपुर शहर में सभी टेक्सटाइल मिल बन्द हो चुकी हैं और आज कानपुर शहर में कोई बड़ा उद्योग नहीं है। इसके बावजूद केस्को का परफॉर्मेंस आगरा की टोरेंट पावर कंपनी से कहीं बेहतर है ।
संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों इं0 राजेश कुमार, इं0 मनोज कुमार, इं0 लक्ष्मण मिश्र, इं0 मुकेश गुप्ता, अमित सिंह, धनन्जय सिंह, भानु प्रताप चौरसिया, भागीरथी, बेचन प्रसाद, इं0 रविकान्त, अजय चौरसिया, चन्द्रभूषण, मिथिलेश शाह, सुनील प्रजापति, नारायण चन्द्र चौरसिया, आशीष कुमार,दिलीप सिंह, राघवेन्द्र, श्रीराम, धीरेंद्र यादव, श्रवण प्रजापति,मनोज कुमार, विजय कुमार, दुर्गेश राय, लालचंद यादव, अभिषेक मणि त्रिपाठी, अंकित मिश्रा, निखिल श्रीवास्तव, हेमलता सिंह, नमिता पटेल, विभव रंजन श्रीवास्तव, दीक्षा श्रीवास्तव, मालती देवी, प्रदुम्न कुमार, योगेन्द्र चौहान, श्रवण कुमार प्रजापति, रीतेश, संतोष कसौधन, प्रिन्स गुप्ता, विरेन्द्र मौर्या, मनीष मिश्रा आदि सहित 100 से अधिक बिजली कर्मचारियों ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु व्यापक विरोध प्रदर्शन किया गया ।