मंचासीन राम सीता की जोड़ी निहार कर पुलकित हो रहे लोग

मंचासीन राम सीता की जोड़ी निहार कर पुलकित हो रहे लोग
गोरखपुर – घघसरा-टकटकी लागाए मंचासीन रंग भूमि की ओर निहार रहे पांडाल में उपस्थित जनमानस की दशा का वर्णन नहीं किया जा सकता । राजा जनक का प्रण और धनुष की विशालता सभी की मनोदशा को बिगाड़ रही थी। राम जी की मनोहारिता को निहार कर लोग बार-बार पुलकित हो रहे थे। धनुष टूटते ही सभी अपनी शुद्ध बुद्धि खो दी । उनके जयकारों से पूरा जनमानस गूंजायमान हो उठा । लोग माँ सीता के साथ प्रभु राम जी के नारे एक साथ लगाने लगे ।
धनुष टूटने की खुशी में जहां सभी आंनंद मग्न थे,वहीं भृगु नंदन परशुराम की उपस्थिति से सभी विस्मृत हो उठे।
छोटे भाई लक्ष्मण के साथ बाद- संवाद के बाद पुनः स्थित सामान्य हुई। परशुराम जी चले जाने के बाद सुखपूर्वक
राम सीता का विवाह हुआ। स्त्रियाँ सुमंगल गीत गाने लगीं। लोग एक दूसरे को मिठाई खिलने लगे। मधुर भजनों की गूंज चारों तरफ सुनाई पड़ रही थी । उक्त अवसर पर मुख्य आयोजक वरिष्ठ अधिवक्ता कौशल कुमार सिंह, समाज सेवी एवं संस्कार इंटर कॉलेज के प्रबंधक सत्येंद्र सिंह, शंकर सिंह, प्रदीप सिंह, इंद्रेश सिंह, हरिओम सिंह, सत्यपाल सिंह, गोपाल,प्रदीप कुमार, बिनोद, टिकोरी सिंह, नागेंद्र सिंह, पप्पू सिंह,प्रधान धरमेंद्र चौहान समेत कई लोग मौजूद थे।