गोरखपुर में एच-5 एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस के पाजीटीव होने की पुष्टि पर जिलाधिकारी द्वारा जनपद में इस वायरस से बचाव एवं रोकथाम हेतु निर्देश जारी

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गोरखपुर में एच-5 एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस के पाजीटीव होने की पुष्टि पर जिलाधिकारी द्वारा जनपद में इस वायरस से बचाव एवं रोकथाम हेतु निर्देश जारी

संत कबीर नगर- शहीद अशफाक उल्ला खाँ प्राणी उधान जनपद गोरखपुर के टाइगर में एच-5 एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस के पाजीटीव होने की पुष्टि होने पर जिलाधिकारी महोदय द्वारा एवियन इन्फ्लूएजा वायरस से बचाव एवं रोकथाम हेतु जनपद में निर्देश जारी किये गये है जिसमें मुख्य रूप से
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा समस्त पोल्ट्री एवं प्रवासी पक्षियों का गहनतापूर्वक एवं गम्भीरता पूर्वक सर्विलान्स किया जाय, इसके लिए बैकयार्ड पोल्ट्री, पोल्ट्री फार्म, पोल्ट्री दुकान/बाजार, प्रवासी पक्षियों के मार्ग, वन्य जीव अभ्यारण्य, पक्षी अभ्यारण्य, नेशनल पार्क, जलाशय, अन्तर्राष्ट्रीय/अन्तराज्यीय सीमा से लगे क्षेत्रों का लगातार सर्विलान्स कर सीरम सैम्पल सम्बन्धित लैब को प्रेषित किये जाने हेतु निर्देशित किया गया। पशुपालन विभाग द्वारा वायरोलॉजिकल एवं सीरोलॉजिकल सर्विलान्स हेतु पक्षियों से क्लोएकल स्वैव एवं ओरोफेरेनिजयल स्वैब तथा सीरम सैम्पुल तथा प्रवासी पक्षियों क फ्रेश बीट (फीकल) सैम्पल उचित पैकिंग में कैडरेड प्रयोगशाला, आई०वी०आर०आई० इज्जतनगर बरेली नियमित रूप से प्रेषित किये जाने हेतु निर्देशित किया गया।
जिलाधिकारी द्वारा मुख्य पशु चिकित्साधिकारी एवं प्रभागीय वनाधिकारी को निर्देशित किया है कि जनपद के टास्क फोर्स से समन्वय स्थापित कर लगातार सम्पर्क में रहे, जिससे कि वन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार के पक्षियों की आकस्मिक एवं असाधारण मृत्यु के मामलें में तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित किया जाये।
उन्होंने जनपद के कृषक/पशुपालको से अपील किया है कि पोल्ट्री फारमर्स, पोल्ट्री व्यापार से जुड़े व्यक्तियों द्वारा तथा वाइल्ड लाइफ क्षेत्र में पक्षियों के अचानक बीमार पडने व मृत्यु की सूचना निकटतम पशुचिकित्सा अधिकारी के साथ-साथ जिला स्तर पर स्थापित कन्ट्रोल रूम प्रभारी/नोडल अधिकारी डॉ० पवन कुमार सिंह, दूरभाष नं0-9453865114 को तत्काल दिया जाए।
उन्होंने बताया कि पक्षियों में इसके मुख्य लक्षणों में अचानक अत्यधिक मृत्यु, अण्डे का उत्पादन घटना, आँख और मुँह पर सूजन, कलंगी का नीला पड जाना, बिना छिलके का अण्डा देना, नाक मुँह और आँखो से पानी गिरना, अत्यधिक बुखार होना। मनुष्यों में मुख्य लक्षणों में अत्यधिक बुखार सिरदर्द, बदन दर्द के साथ निमोनियों के लक्षण भी आते है। यह बीमारी हवा, पानी, और मुर्गी फार्मों पर उपयोग में लाए जाने वाले प्रत्येक साधनों द्वारा भी फैलती है। इसके रोकथाम के लिए उचित जैव सुरक्षा के नियमों का पालन करना और सीरो मानिटरिंग करना है।

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