डीएम करेंगे उपनिबंधक कार्यालय भवन निर्माण का फैसला

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डीएम करेंगे उपनिबंधक कार्यालय भवन निर्माण का फैसला

धनघटा में विवादित उपनिबंधक कार्यालय भवन निर्माण के मामले में उच्च न्यायालय ने दिया आदेश

सन्तकबीर नगर – धनघटा।

लम्बे समय से उपनिबंधक कार्यालय भवन निर्माण को लेकर चल रहे विवाद के बीच उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए डीएम को निर्णय लेने का अधिकार दिया है। अब उपनिबंधक कार्यालय भवन निर्माण को लेकर डीएम के फैसले पर निगाह टिक गई है। फिलहाल विवाद को देखते हुए डीएम ने पहले ही उपनिबंधक कार्यालय धनघटा के भवन निर्माण पर एक माह के लिए रोक लगाई है।
गुरुवार को उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा जारी आदेश के बाद उपनिबंधक कार्यालय भवन निर्माण को लेकर अब सभी की निगाहें डीएम के फैसले पर टिक गई है। उच्च न्यायालय ने जारी आदेश में कहा कि जिला अधिकारी जमीन के स्वामित्व की जांच कर 8 जून 2025 के पहले भवन का निर्माण करने या न करने पर निर्णय ले। तहसील के वरिष्ठ अधिवक्ता लाल शरण सिंह ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में अब जिला अधिकारी को विवादित भूमि पर किसी भी दशा में निर्माण का आदेश नहीं कर सकते हैं। क्योंकि जिला अधिकारी महोदय स्वयं शासन में रिपोर्ट भेज कर कह चुके हैं की जमीन के स्वामित्व का विवाद विचाराधीन है। दूसरी तरफ उपनिबन्धन विभाग के नाम सिर्फ 28 फिट चौड़ा व 194 फीट लम्बी जमीन उपलब्ध है। जबकि शासन द्वारा स्वीकृत नक्शे में 60 फीट चौड़ा व 118 फिट लम्बे क्षेत्रफल में भवन का निर्माण किया जाना स्वीकृत है। ऐसी सूरत में स्वीकृत मानचित्र में यदि निर्माण होगा तो माननीय सिविल जज संत कबीर नगर के स्थगन आदेश का उल्लंघन होगा। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी ने शासन को भेजे पत्र में मामले को विवादस्पद बताया है। ऐसे में विवादित स्थल पर उपनिबंधक कार्यालय भवन का निर्माण अब दोबारा शुरू करना मुश्किल होगा। बता दे कि दान में मिली भूमि पर उपनिबंधक कार्यालय भवन निर्माण किये जाने का विरोध धनघटा तहसील के अधिवक्ता लगातार करते चले रहे है। पिछले छह माह से तहसील मुख्यालय पर चल रहे अधिवक्ताओं के धरना प्रदर्शन से न्यायिक व्यवस्था पूरी तरह लड़खड़ा गयी। उपनिबंधक कार्यालय भवन को लेकर विवाद पूरे जिले में छा गया। नवागत जिलाधिकारी के कार्यभार ग्रहण करने के बाद समस्या के निदान कि उम्मीद जगी जब डीएम ने तथ्यों की जानकारी करने के बाद शासन को पत्र भेज भवन निर्माण पर एक माह के लिए रोक लगा दी। उच्च न्यायालय तब आया है जब भवन की छत लगने तक लाखो रुपये सरकारी धन का खर्च हो चुका है ऐसे में डीएम को फैसला करना किसी चुनौती से कम नही होगा।

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