चेक अनादर मामले में पाल मोटर्स गोरखपुर को एक वर्ष का कारावास , ₹ 20 लाख का अर्थदण्ड

चेक अनादर मामले में पाल मोटर्स गोरखपुर को एक वर्ष का कारावास , ₹ 20 लाख का अर्थदण्ड
-सरदार इण्टर प्राइजेज खलीलाबाद ने किया था मुकदमा
-जेएम कोर्ट का फैसला , अर्थदण्ड अदा न करने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास
-अतिरिक्त कारावास भुगतने के बाद भी हरहाल में होगी अर्थदण्ड की वसूली
संत कबीर नगर । चेक अनादर होने के मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट भारती तायल की कोर्ट ने पाल मोटर्स गोरखपुर के प्रोपराइटर कृष्ण पाल यादव को दोषसिद्ध करार देते हुए एक वर्ष के साधारण कारावास की सजा सुनाई । कोर्ट ने आरोपी पर कुल 20 लाख दो हजार 440 रुपए के अर्थदण्ड का भी निर्णय दिया । अर्थदण्ड की धनराशि अदा न करने पर यह धनराशि आरोपी से भू-राजस्व के रुप में वसूल की जाएगी । अर्थदण्ड का भुगतान न करने के न्यायालय के आदेश की अवमानना स्वरुप आरोपी को तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी । कोर्ट ने यह भी स्पष्ट आदेश दिया कि अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतने से आरोपी अर्थदण्ड की अदायगी से अवमुक्त नहीं होगा । अर्थदण्ड की धनराशि प्रत्येक स्थिति में वसूल की जाएगी ।
चेक अनादर का यह परिवाद सरदार इण्टर प्राइजेज के प्रोपराइटर जसवीर सिंह पुत्र सुन्दर सिंह निवासी बरदहिया बाजार थाना कोतवाली खलीलाबाद ने एनआई एक्ट के अंतर्गत कोर्ट में परिवाद प्रस्तुत किया था । परिवादी का आरोप था कि वह सोनालिका ट्रैक्टर का विक्रेता है । विपक्षी पाल मोटर्स जिसके प्रोपराइटर कृष्ण पाल यादव पुत्र राम अधारे यादव मोहल्ला खैरवा पोखरा चौराहा निकट टीवीएस मोटर साइकिल शो रुम पोस्ट गीतावाटिका थाना शाहपुर जनपद गोरखपुर परिवादी से सोनालिका ट्रैक्टर लेकर जा करके अपनी दुकान पर बेचा करते थे और बिजनेस करते थे । जिसके सिलसिले में परिवादी का विपक्षी के ऊपर 12 लाख 21 हजार रुपए बकाया था । जिसकी अदायगी के लिए विपक्षी ने दिनांक 21 अप्रैल 2008 को सेण्ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा हनुमानगढ़ी जनपद महाराजगंज का चेक दिया । परिवादी ने चेक को ओरिएंटल बैंक आफ कामर्स शाखा खलीलाबाद में कलेक्शन के लिए दिनांक 21 अप्रैल को अपने खाते में जमा किया । उक्त चेक विपक्षी के खाते में पर्याप्त धनराशि न होने के कारण बिना भुगतान के वापस हो गया । इसकी सूचना परिवादी के बैंक ने दिनांक 5 मई 2008 को दिया । परिवादी ने दिनांक 8 मई को परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस दिया । विपक्षी ने चेक की धनराशि का भुगतान नहीं किया । कोर्ट ने परिवादी का बयान अंकित करने के पश्चात आरोपी को विचारण के लिए तलब किया । पक्षों की बहस सुनने के पश्चात जेएम भारती तायल की कोर्ट ने आरोपी दोषसिद्ध करार दिया । कोर्ट ने चेक की धनराशि 12 लाख 21 हजार रुपए पर चार प्रतिशत साधारण ब्याज की दर से लगभग 16 वर्ष तक परिवाद चलने से 7 लाख 81 हजार 440 रुपए ब्याज निर्धारित करते हुए कुल 20 लाख 2 हजार 440 रुपए के अर्थदण्ड तथा एक वर्ष के साधारण कारावास की सजा सुनाया । कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के क्रम में अर्थदण्ड की धनराशि में से 19 लाख 82 हजार 440 रुपए बतौर क्षतिपूर्ति परिवादी को अदा करने और 20 हजार रुपए राज्य सरकार के खाते में जब्त करने का आदेश दिया ।