चरनाद क्लस्टर में दो महीने से सचिव नहीं, प्रशासनिक लापरवाही से जनजीवन अस्त-व्यस्त

चरनाद क्लस्टर में दो महीने से सचिव नहीं, प्रशासनिक लापरवाही से जनजीवन अस्त-व्यस्त
ग्रामीण बोले—“जब गांव में सचिव ही नहीं, तो योजनाओं का लाभ कैसे मिलेगा?”
गोरखपुर –खजनी विकास खंड के चरनाद क्लस्टर के सात गांव—विगही, चरनाद, अहिरौली ,कुइकोल, टिकरियानाथ सिंह, मदनपुरा और बरयाभीर उर्फ़ नकहा—पिछले दो महीने से ग्राम सचिव विहीन हैं। इससे न सिर्फ जनसेवा से जुड़े कार्य पूरी तरह ठप हो गए हैं, बल्कि सरकार की डिजिटल और सुशासन संबंधी दावों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
सचिव हटे, नियुक्ति अटकी
सूत्रों के मुताबिक, पूर्व सचिव रामेश्वर यादव को ग्राम प्रधान की शिकायत पर दो माह पहले हटा दिया गया था। उन्हें जिला मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया, लेकिन आज तक नए सचिव की तैनाती नहीं हो सकी है। परिणामस्वरूप पंचायत से जुड़ी तमाम जरूरी सेवाएं प्रभावित हैं।
जनसेवा रुकी, लोग बेहाल
ग्रामीणों को जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, परिवार रजिस्टर की नकल, वृद्धावस्था पेंशन, छात्रवृत्ति और स्कूलों में दाखिले जैसी जरूरी सेवाओं के लिए खजनी ब्लॉक के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
ग्रामीणों का सवाल है—
“डिजिटल इंडिया के युग में जब सचिव ही नहीं है, तो ऑनलाइन सेवाएं कैसे मिलेंगी?”
प्रशासन आश्वस्त, लेकिन कार्रवाई नहीं
इस संबंध में जब मुख्य विकास अधिकारी से पूछा गया, तो उन्होंने बताया अगर दो महीने से सचिव नहीं है तो जाँच करवाते हैं जल्द ही सचिव की तैनाती कर दी जाएगी।”
लेकिन सवाल यह है कि “जल्द” कब आएगा? क्योंकि दो महीने का लंबा इंतज़ार पहले ही ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ा चुका है।
ग्रामीणों की माँग—तत्काल नियुक्ति हो
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द नियुक्ति नहीं हुई, तो वे आंदोलन का रास्ता भी अपना सकते हैं। उनका कहना है कि सचिव की गैर मौजूदगी से न सिर्फ रोज़मर्रा की ज़रूरतें बाधित हो रही हैं, बल्कि विकास कार्य भी पूरी तरह थम गए हैं।
एक बड़ी चिंता—क्या यह है ‘डिजिटल इंडिया’ की असली तस्वीर?
जब सरकार गांवों को डिजिटल सेवाओं से जोड़ने की बात कर रही है, ऐसे में सचिव जैसे बुनियादी प्रशासनिक पदों का खाली रहना न सिर्फ योजनाओं की विफलता को दर्शाता है, बल्कि ग्रामीण भारत के भविष्य को भी कठघरे में खड़ा करता है।