बिजली विभाग को फोरम ने दिया जोर का झटका , जारी 13 लाख 88 हजार का बिल किया निरस्त

बिजली विभाग को फोरम ने दिया जोर का झटका , जारी 13 लाख 88 हजार का बिल किया निरस्त
-फोरम का आदेश क्षतिपूर्ति व वाद व्यय का 30 हजार रुपए एक्सईएन को करना होगा भुगतान
-परिवादी को न्यूनतम बिल भेजे विभाग , परिवादी को तीन बराबर मासिक किस्तों में भुगतान का आदेश
संत कबीर नगर । जिले की उपभोक्ता फोरम की अदालत ने बिजली विभाग को एक मामले में जोर का झटका दिया है । बिजली विभाग द्वारा जारी 13 लाख 88 हजार 212 रुपए के बिल को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की कोर्ट ने निरस्त कर दिया । उपभोक्ता फोरम ने विद्युत विभाग के अधिशाषी अभियंता के विरुद्ध परिवादी को क्षतिपूर्ति के रुप में बीस हजार रुपए तथा वाद व्यय के रुप में दस हजार रुपए कुल तीस हजार रुपए निर्णय की तिथि से 60 दिन के अंदर भुगतान करने का भी फैसला दिया । इसके साथ ही फोरम ने वर्ष 2015 के बाद न्यूनतम बिल बनाकर देने परिवादी तीन बराबर किस्तों में भुगतान करने का भी निर्णय सुनाया ।
परिवादी के अधिवक्ता अरुण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि भालचन्द्र पुत्र राजदेव ग्राम धमरजा थाना कोतवाली खलीलाबाद ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में परिवाद प्रस्तुत किया था । परिवादी का कथन है कि खलीलाबाद शहर के सरैया बाईपास पर मकान बनवाया है । इस मकान में बत्ती पंखा का बिजली कनेक्शन लिया है । परिवादी सरैया वाले मकान पर कभी कभार रहता है । अधिकतर धमरजा वाले मकान में ही रहता है । सरैया वाले मकान का बिजली बिल कनेक्शन के बाद वर्ष 2015 तक जमा करता रहा । इस दौरान बिल के रुप में 27 हजार 127 रुपए जमा कर दिया । बंद पड़े सरैया वाले मकान का बिल अधिक आने पर दिनांक 18 फरवरी 2015 को बिल जमा करते हुए खराब मीटर की शिकायत किया । अथक प्रयास के बाद दिनांक 4 मई 2018 को दूसरा मीटर लगाया गया । परन्तु बिल का सुधार नहीं किया गया । बिल का सुधार किए बिना दिनांक 25 फरवरी 2023 को 13 लाख 88 212 रुपए 47 पैसे का बिल भेज दिया । प्रकरण में बिजली विभाग ने जबाबदेही प्रस्तुत करके कथन किया कि माह जनवरी 2023 तक 2 लाख 40 हजार 894 रुपए होता है । उपभोक्ता फोरम ने पक्षों को सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के पश्चात विभाग द्वारा जारी 13 लाख 88 हजार 212 रुपए 47 पैसे के बिल को निरस्त करने का फैसला सुनाया । इसके साथ ही फोरम ने दिनांक 28 दिसम्बर 2015 के बाद से अब तक का न्यूनतम बिल 60 दिन में प्रेषित करने तथा बिल प्राप्त होने पर परिवादी को तीन बराबर मासिक किस्तों में भुगतान का भी आदेश दिया ।