बी.टेक. के छात्रों ने बनाया स्मार्ट नेस्ट

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बी.टेक. के छात्रों ने बनाया स्मार्ट नेस्ट

जंगल में आग लगने पर बचाएगा चिड़ियों का आशियाना

जंगल में आग लगने पर रेडियो ट्रांसमीटर सेंसर के जरिए वन विभाग को पहुंचाएगा सूचना

गोरखपुर –विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून के अवसर पर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट गीडा, गोरखपुर के बीटेक द्वितीय वर्ष के दो छात्र आदित्य मद्धेशिया और अंशित कुमार श्रीवास्तव मिलकर चिड़ियों के लिये एक ऐसा स्मार्ट घोंसला तैयार किया है ज़ो जंगलों मे आग लगने पर वन विभाग तक सूचना पहुँचा सकेगा जिससे जंगल मे लगे आग को समय रहते बढ़ने सें रोका जा सके| इस तकनीक की मदद सें जंगल मे लगे आग को बढ़ने सें रोकने मे मदद मिलने के साथ चिड़िया भीं अपनी जान बचा शक्ति हैं l इस स्मार्ट घोंसले को बनाने मे छात्रों ने रेडियो सोलर वायरलेस तकनीक इस्तेमाल कर तैयार किया हैं l इस प्रोजेक्ट मे एक चिड़िया के घोंसले सें कई छोटे-छोटे सेंसर्स जंगलों मे जगह जगह लगे होंगे इन्हें कई सालो तक चार्ज करने की जरूरत नहीं हैं l इन रेडियो ट्रांसमिटर सेंसर के रेंज के संपर्क मे जैसे आग की लपटे या धुआँ आएगा तों ये तुरंत सक्रिय हो जायेगा और वन विभाग के कार्यालय मे जंगल के एरिया का नाम और लोकेशन के साथ सूचना पहुँच जायेगा l इससे जंगलों मे जीव जंतुओ की सुरक्षा के साथ पर्यावरण की रक्षा करने मे मदद मिल शक्ति हैं l छात्र अंशित और आदित्य ने इस प्रोजेक्ट को कॉलेज म स्थापित इन्नोवेशन लैब मे तैयार किया |छात्रों ने इसे “स्मार्ट नेस्ट”का नाम दिया हैं यह डिवाइस खास तौर पर जंगलों और खेतों में लगने वाली आग की तुरंत पहचान करने और संबंधित अधिकारियों को स्वचालित रूप से सूचना देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। स्मार्ट नेस्ट एक ऐसा घोंसला-आकार का उपकरण है जिसमें तापमान, धुआं और आग का पता लगाने वाले सेंसर लगे होते हैं। जैसे ही ये सेंसर आग की उपस्थिति को महसूस करते हैं, डिवाइस एक तेज अलार्म बजाता है और साथ ही जीएसएम मॉड्यूल की मदद से मुख्यालय को कॉल या संदेश भेजता है। यह तकनीक खास तौर पर उन क्षेत्रों के लिए उपयोगी है, जहां मानव उपस्थिति कम होती है और आग फैलने पर भारी नुकसान हो सकता है। सोलर एनर्जी से चलने वाला यह सिस्टम पर्यावरण के अनुकूल है और ग्रामीण क्षेत्रों में भी आसानी से लगाया जा सकता है। यह प्रोजेक्ट पर्यावरण संरक्षण में तकनीक के योगदान का सशक्त उदाहरण है और भविष्य में जंगलों तथा खेतों को आग की तबाही से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रोजेक्ट को बनाने मे लगभग सात हजार रूपये का खर्च आया और 6 दिनों का समय लगा हैं l इस घोंसले को बनाने मे जीएसएम मॉड्यूल, जीपीएस, नैनो सोलर प्लेट, रेडियो ट्रांसमिटर और रिसिवर, अलार्म, इत्यादि का इस्तेमाल कर तैयार किया हैं l संस्थान के निदेशक डॉ एन के सिंह ने छात्रों की प्रसंशा करते हुए कहा कि पर्यावरण दिवस हमें हर रोज मनाने की जरुरत हैं l हमे हर दिंन ऐसा काम करना हैं जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान ना हों और हम कोई वृक्षारोपण भी करे तो अपने परिवार के सदस्य की तरह उसका देखभाल करें ल इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष नीरज मातनहेलिया, सचिव श्याम बिहारी अग्रवाल, कोषाध्यक्ष निकुंज मातनहेलिया, संयुक्त सचिव अनुज अग्रवाल सहित संस्थान के सभी शिक्षकों ने छात्रों कि इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए प्रसन्नता व्यक्त किया |

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