तृतीया तिथि आरंभ– 29 अप्रैल शाम 05ः 31 बजे
तृतीया तिथि समाप्त-  30 अप्रैल दोपहर 02ः31 बजे
उदया तिथि के अनुसार अक्षय तृतीया बुधवार 30 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी।
अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किन्तु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है।

महत्त्व-
मान्यता है कि इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह.प्रवेश, वस्त्र,आभूषणों की खरीददारी या घर, खण्ड, वाहन आदि की खरीददारी से सम्बन्धित कार्य किए जा सकते हैं। नवीन वस्त्र, आभूषण आदि धारण करने और नई संस्था, समाज आदि की स्थापना या उद्घाटन का कार्य श्रेष्ठ माना जाता है। पुराणों में लिखा है कि इस दिन पितरों को किया गया तर्पण तथा पिन्डदान अथवा किसी और प्रकार का दान अक्षय फल प्रदान करता है। इस दिन गंगा स्नान करने से तथा भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यहाँ तक कि इस दिन किया गया जप,तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है। यह तिथि यदि सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र के दिन आए तो इस दिन किए गए दानए जप.तप का फल बहुत अधिक बढ़ जाता हैं। इसके अतिरिक्त यदि यह तृतीया मध्याह्न से पहले शुरू होकर प्रदोष काल तक रहे तो बहुत ही श्रेष्ठ मानी जाती है। यह भी माना जाता है कि आज के दिन मनुष्य अपने या स्वजनों द्वारा किए गए जाने.अनजाने अपराधों की सच्चे मन से ईश्वर से क्षमा प्रार्थना करे तो भगवान उसके अपराधों को क्षमा कर देते हैं और उसे सदगुण प्रदान करते हैं,अतः आज के दिन अपने दुर्गुणों को भगवान के चरणों में सदा के लिए अर्पित कर उनसे सदगुणों का वरदान माँगने की परम्परा भी है। हालांकि श्रीमद्भगवत गीता 16 के श्लोक 23,24 में गीता ज्ञान दाता स्पष्ट रूप से निर्देशित देते हुए कहता है कि जो साधक शास्त्रों में वर्णित भक्ति की क्रियाओं के अतिरिक्त कोई अन्य साधना व क्रियाएं करते हैंए उनको न सुख की प्राप्ति होती है, न उनको सिद्धि की प्राप्ति होती है, और नाही  उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है अर्थात् यह व्यर्थ की पूजा है। साधक को वे सभी क्रियाओं का परित्याग कर देना चाहिए जो गीता तथा वेदों अर्थात् प्रभुदत्त शास्त्रों में वर्णित नहीं हैं। इसलिए अक्षय तृतीया के दिन जल से भरे घड़े, कुल्हड, सकोरे, पंखे,खडाऊँ, छाता, चावल, नमक, घी, खरबूजा, ककड़ी, शक्कर, साग, इमली, सत्तू आदि घर्मी में लाभकारी वस्तुओं का दान पुण्यकारी माना गया है। इस दान के पीछे यह लोक विश्वास है कि इस दिन जिन.जिन वस्तुओं का दान किया जाएगा, वे समस्त वस्तुएँ स्वर्ग व अगले जन्म में प्राप्त होगी। इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा श्वेत कमल अथवा श्ववेत पाटल ;गुलाब व पीले पाटल से करनी चाहिये। ऐसी भी मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर अपने अच्छे आचरण और सद्गुणों से दूसरों का आशीर्वाद लेना अक्षय रहता है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। इस दिन किया गया आचरण और सत्कर्म अक्षय रहता है। स्कंद पुराण और भविष्य पुराण में उल्लेख है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में जन्म लिया। कोंकण और चिप्लून के परशुराम मंदिरों में इस तिथि को परशुराम जयन्ती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। दक्षिण भारत में परशुराम जयन्ती को विशेष महत्त्व दिया जाता है। परशुराम जयन्ती होने के कारण इस तिथि में भगवान परशुराम के आविर्भाव की कथा भी सुनी जाती है। इस दिन परशुराम जी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य माना गया है। सौभाग्यवती स्त्रियाँ और क्वारी कन्याएँ इस दिन गौरी.पूजा करके मिठाईए फल और भीगे हुए चने बाँटती हैंए गौरी.पार्वती की पूजा करके धातु या मिट्टी के कलश में जल, फल, फूल, तिल, अन्न आदि लेकर दान करती हैं।

पूजा का शुभ मुहूर्त –  अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है, पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 05बजकर 12 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 43 मिनट तक रहने वाला है !

कब से हो रही है तृतीया तिथि की शुरुआत- ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार साल 2025 मे वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 29 अप्रैल संध्या 4 बजकर 29 मिनट मे शुरू हो रहा है और तृतीया तिथि का समापन अगले दिन यानी 30 अप्रैल दिन रविवार दोपहर 03 बजकर 11 मिनट मे हो रहा हैण् शुक्ल पक्ष में उदयातिथि मान्यता होती है इसलिए उदयातिथि के अनुसार 30 अप्रैल को ही अक्षय तृतीया मनाया जाएगाण् इस दिन दो शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि योग और शोभन योग का भी निर्माण हो रहा है!

अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का समयः सुबह 04ः46 बजे से दोपहर 02ः12 बजे तक
अवधिः 09 घंटे 25 मिनट

शोभन योगः 30 अप्रैल को दोपहर 12ः02 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योगः पूरे दिन

अक्षय तृतीया पर करें ये उपाय – तांबे के बर्तन से सूर्य को अर्घ्य दें।
घर में पूजा स्थान या धन स्थानपर दीपक जलाएं।
इस दिन अपनी क्षमता के अनुसार विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का दानकरने से पुण्य मिलता है।
गुड़,चावल, सोना, घी, जल और कपड़े दानकरें।
विशेष रूप से सोने, चांदी और घी का दान करना चाहिए।

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