आनंदमार्ग जागृति में सेमिनार का दूसरा दिन, “प्राणधर्म और मानव शरीर” पर हुआ गहन विमर्श

आनंदमार्ग जागृति में सेमिनार का दूसरा दिन, “प्राणधर्म और मानव शरीर” पर हुआ गहन विमर्श
गोरखपुर –गोरखपुर दक्षिणी बेतियाहाता स्थित आनंदमार्ग जागृति केंद्र में चल रहे तीन दिवसीय सेमिनार के दूसरे दिन “प्राणधर्म तथा मानव शरीर – एक जैविक यंत्र” विषय पर गहन चर्चा की गई।
सेमिनार के मुख्य वक्ता आचार्य मेघदीपानंद अवधूत ने मानव शरीर की विशेषताओं एवं संभावनाओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए मानव मन, पशु मन एवं वनस्पति मन (उद्भिज्ज मन) के बीच के सूक्ष्म अंतर को प्रभावशाली ढंग से स्पष्ट किया।
इससे पूर्व, प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने प्राणधर्म को मानव जीवन का आधार बताया। उन्होंने कहा, “ब्रह्म के प्रति आकर्षण मनुष्य की मूल वृत्ति है, और यही उसे परमात्मा की ओर खींचती है। ब्रह्मोपलब्धि ही जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य है।”
सेमिनार में आचार्य राघवानंद अवधूत, अवधूतिका आनंदवेदिता आचार्या, भुक्ति प्रधान संजय कुमार श्रीवास्तव, डॉ. धनीराम, डॉ. रंजना बागची, डॉ. राकेश, राजेन्द्र, संजय तिवारी, विवेक, अभिनव, कृपाचार्य, सुनील, कृपाशंकर, कमलेश, विद्यानंद करुणानंद सहित विभिन्न जिलों – गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, बस्ती, गोंडा व बलरामपुर – से आए लगभग 200 आनंदमार्गियों ने सहभागिता की।