_बहराइच जलवायु परिवर्तन से निपटने को लेकर विभिन्न विभागों का हुआ दक्षता निर्माण
*_बहराइच जलवायु परिवर्तन से निपटने को लेकर विभिन्न विभागों का हुआ दक्षता निर्माण_*
*_बढ़ते तापमान, जल संकट और बदलते मौसम से बढ़ रहीं बीमारियां और कुपोषण की समस्या_*
*_पाँच दिवसीय कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बताया समाधान_*
*_ब्यूरो रिपोर्ट दिलशाद अहमद_*
*_आज का भारत लाइव_*
बहराइच 06 मई। रेड आर इंडिया, मिशन समृद्धि, डॉ. रेड्डीज़ फाउंडेशन और यूनिसेफ के सहयोग से शहर के एक स्थानीय होटल में पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए विभिन्न विभागों की तैयारी को मजबूत करना है।
इस कार्यशाला में स्वास्थ्य और पोषण पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों तथा उनसे निपटने की रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की गई। इस सत्र का संचालन विषय विशेषज्ञ डॉ. बलराम जादव और दीपक मलिक ने किया। उन्होंने बताया कि बढ़ता तापमान, जल संकट, बाढ़ जैसी मौसमीय घटनाएं और बदलते मानसून सीधे तौर पर जनस्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं। इससे डायरिया, डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों में वृद्धि हो रही है। वहीं, खेती पर असर पड़ने से खाद्य असुरक्षा बढ़ रही है, जिससे बच्चों और महिलाओं में कुपोषण की समस्या गंभीर होती जा रही है।
सत्र के दौरान प्रतिभागियों को प्राकृतिक समाधान आधारित रणनीतियों की जानकारी दी गई, जैसे जल संरक्षण, हरियाली बढ़ाना और स्थानीय जलवायु-अनुकूल आहार को बढ़ावा देना। साथ ही, यह भी बताया गया कि राष्ट्रीय और राज्य जलवायु अनुकूलन योजनाओं को विभागीय कामकाज से कैसे जोड़ा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि इस पाँच दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ सोमवार को एसीएमओ डॉ संतोष राना व जिला स्वास्थ्य,शिक्षा एवं सूचना अधिकारी बृजेश सिंह ने किया। कार्यशाला के पहले दिन प्रतिभागियों को जलवायु परिवर्तन की मूल अवधारणाओं से परिचित कराया गया था। प्रशिक्षकों ने बताया कि किस प्रकार वैश्विक तापमान में वृद्धि, ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन, और पारिस्थितिक असंतुलन जैसे कारक जलवायु परिवर्तन को जन्म देते हैं। इसके साथ ही, जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य क्षेत्र पर इन परिवर्तनों के प्रभावों की विस्तार से चर्चा की गई। उदाहरणस्वरूप, पीने के पानी की उपलब्धता में कमी, जलस्रोतों का प्रदूषण, और मौसम जनित बीमारियों के बढ़ते खतरे जैसे मुद्दे सामने लाए गए।
मिशन समृद्धि के नीलाद्रि ने बताया कि आगामी तीन दिनों के दौरान कार्यशाला में शिक्षा, कृषि और आजीविका जैसे क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और उससे जुड़ी जोखिम प्रबंधन रणनीतियों पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण में विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारी, योजना निर्माता और स्वयं सेवी संस्थाएं भाग ले रही हैं। आयोजन का उद्देश्य है कि सभी विभाग मिलकर जलवायु संकट के प्रति तैयार रहें और अपनी विकास योजनाओं में जलवायु अनुकूलन को एकीकृत करें।
