अवयस्क संग छेड़छाड करने के आरोपी को हुआ 3 वर्ष का सश्रम कारावास

अवयस्क संग छेड़छाड करने के आरोपी को हुआ 3 वर्ष का सश्रम कारावास
-घास काटने गई 13 वर्षीय बालिका के साथ दिन दहाड़े हुई थी घटना
-स्थानीय थाने पर नहीं दर्ज हुआ था अभियोग , महिला थाना से की थी फरियाद
संत कबीर नगर । घास काटने गई अवयस्क किशोरी के साथ अश्लील हरकत करने के आरोपी को एडीजे एवं विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट कृष्ण कुमार पंचम की कोर्ट ने दोषसिद्ध करार देते हुए तीन वर्ष के सश्रम कारावास का सजा सुनाया । कोर्ट ने आरोपी दया शंकर उर्फ मुन्ना मौर्य पर सजा के अतिरिक्त दो हजार पांच सौ रुपए का अर्थदण्ड भी लगाया है । अर्थदण्ड का भुगतान न करने पर आरोपी को तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी । कोर्ट ने अर्थदण्ड की सम्पूर्ण ढ़ाई हजार रुपए की धनराशि पीड़िता को देने का भी फैसला सुनाया है । इसके साथ ही कोर्ट ने नालसा प्रतिकर स्कीम के अंतर्गत पीड़िता को 20 हजार रुपए का प्रतिकर देने का भी निर्णय दिया । स्थानीय थाने पर अभियोग पंजीकृत न होने पर वादिनी ने महिला थाने से फरियाद किया था ।
विशेष लोक अभियोजक पाक्सो एक्ट अभिमन्युपाल , सत्येन्द्र शुक्ल व अनिल कुमार सिंह ने बताया कि प्रकरण मेंहदावल थानाक्षेत्र के एक गांव का है । प्रकरण में पीड़िता की मां ने महिला थाना में अभियोग पंजीकृत कराया था । वादिनी का आरोप था कि दिनांक 2 सितम्बर जनवरी 2017 को अपने पति के साथ बच्चे के उपचार के लिए गोरखपुर गई थी । उसकी 13 वर्षीय पुत्री अपने दादी के साथ समय दस बजे दिन में घास काटने गई थी । घास काटते हुए पीड़िता अपनी दादी से कुछ दूर चली गई । इसी बीच दया शंकर उर्फ मुन्ना मौर्य पुत्र राजेन्द्र मौर्य ग्राम बनकटा थाना मेंहदावल जो दबंग किस्म का है । पीछे से आकर गलत नीयत से पुत्री का मुंह दबाकर अश्लील हरकत करने लगा और खींच कर बगिया में ले जाने लगा । शोर करने पर किसी को बताओगी तो जान से खत्म करने की धमकी देते भाग गया । वादिनी के घर आने पर घटना की जानकारी हुई । स्थानीय थाने पर दौड़ाते रहे अभियोग पंजीकृत नहीं किया । महिला थाने पर अभियोग पंजीकृत होने के पश्चात विवेचना के उपरांत पुलिस ने आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया । विशेष लोक अभियोजक पाक्सो एक्ट अभिमन्युपाल ने बताया कि अभियोजन की तरफ से कुल पांच साक्षी न्यायालय में प्रस्तुत किए गए । एडीजे व विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट कृष्ण कुमार पंचम की कोर्ट ने पक्षों की बहस सुनने के पश्चात आरोपी को दोषसिद्ध करार देते हुए तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई ।