जिलाधिकारी ने समूह की महिलाओं के प्रार्थना पत्र का लिया संज्ञान, त्रिसदस्यीय जांच समिति द्वारा प्रकरण की जांच कर सौंपी गई रिपोर्ट।

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जिलाधिकारी ने समूह की महिलाओं के प्रार्थना पत्र का लिया संज्ञान, त्रिसदस्यीय जांच समिति द्वारा प्रकरण की जांच कर सौंपी गई रिपोर्ट।

संत कबीर नगर: जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर द्वारा विगत दिनाँक 17 सितंबर 2024 को श्रीमती सपना, श्रीमती सुन्दरी देवी एवं श्रीमती ऊषा देवी आदि द्वारा विधायक धनघटा को सम्बोधित शिकायती प्रार्थना पत्र में उल्लेखित तथ्यों के सम्बन्ध में जांच कराये जाने के अनुरोध के क्रम में त्रिसदस्यी जांच समिति गठित कर प्रकरण की जांच करते हुए आख्या उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे। इसी सम्बन्ध में शिकायतकर्ता द्वारा दिनांक 13 सितंबर को एक प्रार्थना पत्र जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया गया था जिस पर भी शिकायतकर्ता द्वारा जांच कराये जाने का अनुरोध किया गया है।
उक्त प्रकरण के संबंध में जिलाधिकारी द्वारा दिए गए निर्देश के क्रम में गठित जांच समिति द्वारा अवगत कराया गया है कि उक्त प्रकरण की जांच हेतु लीड बैंक मैनेजर संत कबीर नगर, उपायुक्त, स्वतः रोजगार, संत कबीर नगर एवं उपायुक्त उद्योग केन्द्र, संत कबीर नगर की त्रिसदस्यी समिति गठित कर जांच करायी गयी।
त्रिस्तरीय समिति द्वारा दिनाँक 18 सितंबर को अपनी जांच आख्या उपलब्ध करायी गयी है जिसमें उल्लेखित किया गया है कि बंधन, चैतन्य, मिडलैण्ड, स्वाभिमान, उत्कर्ष, उज्जवला आदि प्राइवेट बैंकों द्वारा अधिक व्याज पर लोन दिये जाने की शिकायत की जांच करने के लिए इन सभी बैंकों के प्रतिनिधियों को बुलाया गया था। अधिक व्याज दर के विषय में उनके द्वारा दो कथन किए गए कि वह 23.75 प्रतिशत वार्षिक व्याज चार्ज करते है परन्तु 30,000/- का लोन लेने पर 48 साप्ताहिक किस्तों में 33600/- की कुल धनराशि लेते है जो लगभग 10 प्रतिशत की व्याज दर हुई। उनके द्वारा अपने अभिलेख पृथक से उपलब्ध कराने के लिए आश्वासन दिया गया। अन्य बैंकों के प्रतिनिधि आए नहीं थे परन्तु उनके विषय में भी महिलाओं ने अधिक व्याज दर लेने की शिकायत थी। महिलाओं को बता दिया गया है कि यदि सूर्यास्त के बाद वसूली के लिए कोई आता है या अधिक व्याज दर की मांग करता है तो वह लीड बैंक मैनेजर को अवगत कराये, जिनका मोबाइल नम्बर सभी को उपलब्ध करा दिया गया है। प्राइवेट बैंक यह नहीं देखते हैं कि महिला पहले से ही किसी और जगह से लोन ले चुकी है जो अभी चुकाया नहीं है। इस प्रकार कुछ महिलाएं मात्र एक बैंक का लोन चुकाने के लिए दूसरे बैंक से लोन लेती है। यह भी शिकायत की गयी कि बैंक पूरी बात सही तरीके से बताते नहीं है और अंधिकांश केस में पति को गारण्टर बनाकर लोन कर देते हैं। अदायगी के समय अधिक व्याज दर होने के कारण स्थित खराब होती है।
जांच समिति द्वारा उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट में बताया गया है कि बंधन बैंक, समूह बनाने के नाम पर महिलाओं को इक‌ट्ठा कर लेते है। लोन व्यक्तिगत रूप से करते है परन्तु बताते है कि महिलाएं समूह में है। इनके द्वारा बताया गया कि इनके समूह में 28 महिलाएं है जिन सभी को इनके द्वारा व्यक्तिगत रूप से लोन दिया गया है। अतः यह भ्रामक तथ्य बताकर लोन करते है।
उपस्थित ग्रामवासियों ने इस बात की पुष्टि की कि रात में भी वसूली के लिए कर्मचारी आते हैं। महिलाएं वास्तव में इस कुचक्र से दुखी हैं लेकिन लोन लेने की सभी ने पुष्टि की। महिलाओं ने अपने प्रार्थना पत्र में ऋण माफ किये जाने की प्रार्थना की है और मौके पर भी इस बात को दोहराया कि वे अब ऋण वापस नहीं कर पायेंगे।
उपरोक्त त्रिसदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि समूह की महिलाओं को लोन दिये जाने हेतु बंधन, चैतन्य, मिडलैण्ड, स्वाभिमान, उत्कर्ष, उज्जवला आदि प्राइवेट बैंकों द्वारा समूह की महिलाओं को इक्‌ट्ठा कर लिया जाता है और कहां जाता है कि उनका समूह का लोन किया जा रहा है, लेकिन समूह का लोन न करके व्यक्तिगत लोन कर दिया जाता है। लीड बैंक मैनेजर द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि सभी प्रकार के बैंक NBFCs की श्रेणी में पंजीकृत है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इस प्रकार का ऋण प्राप्त करने वाली ज्यादातर महिलाएं बहुत कम पढ़ी-लिखी एवं गरीब श्रेणी से सम्बन्ध रखती है। लोभ एवं लालच बस धीरे-धीरे इन लोगों के DEBT TRAP में फंसने की सम्भावना बनी रहती है। जनपद स्तर पर जनपद स्तरीय बैंकर्स समिति (DLRC) की बैठक में भी इस गम्भीर विषय पर चर्चा कर कुछ समाधान करने के प्रयास किये जा रहे हैं। साथ ही RBI के प्रतिनिधि को भी विस्तृत जानकारी दी जा रही है। इसके अतिरिक्त इन प्राइवेट बैंकों को राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के माध्यम से भी मीटिंग आहूत कर उनके लिए व्याज दर और अनियमित सेवा शर्तें निर्धारित करने हेतु सर्कुलर जारी किया जाना उचित होगा, जिससे इस प्रकार की समस्या का जड़ से निदान किया जा सके।

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