जिले में यूरिया की किल्लत, किसान हैरान

जिले में यूरिया की किल्लत, किसान हैरान
सहकारी समितियों से ही चली जाती बिचौलियों के पास किसी जन नेता का ध्यान किसान हित में नहीं
गोरखपुर। एक तरफ बरसात का छिट पुट पानी गिरने को लेकर किसान परेशानहैं दुसरी तरफ खेतों में उगी घासों की निराई कराने में परेशान तो तीसरी तरफ यूरिया खाद ना मिलने के कारण किसान अपने तबाहीयत का श्लोगन लिखने को बेबस है। ऐसे में सहकारी समितियों को मिलने वाली खाद को विचौलियों के हाथ मे चले जाने से किसाने की तपस्या का मतलब नहीं दिख रहा है क्यों कि सहकारी समितियों पर किसान रात भर रुक कर भी खाद नहीं पा रहा है। सहकारी समितियों पर खाद यूरिया 270 रुपए में तो प्राइवेट दुकानों पर 750 से आठ सौ रुपए बोरी मिल रही है। फिर भी जन नेताओं की किसान हित में आवाज फुस्सहो गई है धरातल पर सच्चाई का आकंड़ा वताने हेतु किसी अधिकारी या सम्बधित विभाग समेत जन नेताओं की हिम्मत नहीं बल्कि फर्जी आकडा कागजों में अंकित कर दिखाने व वाहबाही लेने की होड़ में सम्बन्धित लोग लीन है।
मालूम हो कि यदि वर्तमान में किसानों को यूरिया खाद उपलब्ध नहीं हो रही तो उनके परिश्रम से तैयार किया गया धान रोपड का तैयार हो रहा पौधा लहलहा नहीं पायेगा। जब कि किसान हित में सरकार ने वर्षों से बन्द पड़ी गोरखपुर के खाद कारखाने को शुरू करा दिया जहां यूरिया खाद का उत्पादन शुरु है। अब सवाल उठता है कि गोरखपुर में खाद यूरिया का कारखाना होते हुए भी किसान खाद के लिए तरस जा रहे हैं। आखिर यहां से हो रही यूरिया खाद का उत्पादन की बोरियां कहा चली जा रही जो स्थानीय किसान को नहीं मिल पा रहा है। इस वावत कुछ किसानों का कहना है कि जब चीनी मिले तीन माह चला कर इतना उत्पादक चीनी देती है फिर भी चीनी की कमी सालों-साल नहीं होती है। लेकिन वहीं गोरखपुर में यूरिया खाद कारखाना 24 घंटे चलने के बाद भी किसानो के लिए खाद उपलब्ध नही हो पाता ।आखिर उत्पाद हो रही यूरिया खाद कही अन्यत्र में ब्लैकमेलिंग तो नही हो रही है। क्यों कि यहां से सटे नेपाल राष्ट है जहां यूरिया खाद बडे-बडे कारोबारियों की मिली भगत से रसूख के बल पर किसानों के हक की यूरिया खाद दुसरे देश में अधिक मूल्य पर चोरी छिपे तो नहीं भेज दिया जाता।
फिल हाल किसान यूरिया खाद के लिए काफी परेशान है जिनकी सुनने हेतु कोई भी जन नेता या सम्बन्धित अधिकारी तैयार नहीं हैं। फर्जी आकडा देकर जन मानान के आवाज पर लगाम लगा दे रहे है। फिल हाल किसानों की समस्या तो बढ़ती जा रही क्यों कि उन्हें सम्बन्धित विभाग के कर्मचारी सार्थक व्यवस्था देने कलाकारी का बेहतर गुण दिखा कर नौ-दो ग्यारह होलेते हैं। ऐसे में सूत्रों का कहना है कि प्राइवेट खाद कारोबारी झूम कर महंगे दामों में यूरिया बेचते और किसान खरीदने पर मजबूर है।